देखो ना मुझे
खबर भी ना हुई
और सब कुछ मेरा
चुरा ले गयी तुम ..
आँखों के रस्ते से
कब तुम मेरे दिल
में समां गयी तुम ..
अब साँस भी लू तो
आये सिर्फ तेरी खुसबू ..
मेरी सारी कायनात को
अपना बना ले गयी तू ..
है ये मौसम या खुमार
तेरे इश्क़ का ..मेरी
आरज़ू के आसमान पर
इस कदर छा गयी हो तुम ..
मेरा बस अब मुझपर
ही चलता नहीं है ..
अजीब सी हालत और
मुझे पागल बना गयी है तू ..
मुझे खबर भी ना हुई और
कब इस तन की रूह बन गयी हो तुम
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