Wednesday 24 May 2017

आभार तुम्हारा


सोच रहा हु 
आज कुछ पुराना लिखू
तुम और मैं कैसे मिले
कैसे बात हुई हमारी
कैसे मैंने तुम्हे मनाया
कैसे और क्या क्या
कर तुम्हे अपना बनाया
दिल भी तुम्हारे ही
ज़ज़्बातों से भरा रहता है
अब सिर्फ दिल में ही नहीं
तुम तो मेरी रूह में समायी रहती हो
तभी तो मेरी यादो की हद्द
से तुम कभी एक पल को भी
दूर नहीं जा पाती हो
आभार तुम्हारा मेरी ज़िन्दगी
जो तुम मेरी ज़िन्दगी बन
मेरे जीवन में आयी

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !