Tuesday, 23 May 2017

आ जाओ तुम





इश्क़ में तेरे 
बदल लिया है भेष
फिरता हु दर-दर
मन्नत को तेरी
दरस और संग
को तेरे तरसे
है नैन मेरे
बस एक बार
आ जाओ तुम
तर जाऊं मैं
वेद पुराण सब
पीछे छोड़ लेता
हु बस एक तेरा नाम 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !