मैं तो सिर्फ
अपनी सियाही से
सादे पन्नो पर
अपने प्रेम की
बेताब सी लकीरें
खींचता हु ...
कुछ अपनी कल्पनाओ
के आकर्षक मोती
हर्फो के रूप में
पिरोता हु किरदार
में मोहोब्बत बनकर जीने की
उसके हालात को भांपने की
भावनाओ को जीवित
रखने की एक कोशिश
करता रहता हु ...
उस कोशिश को बल मिलता है
जब तुम उन भावनाओ
को समझती हो
सपनी को सहेज कर
विस्तार में रख लेता हु
कुछ हकीकत के परिंदे
तेरे ही जेहन में छोड़ आता हु
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