Monday 10 July 2017

अँधेरे सा मौन..


तब......
तुम्हारी सांसों के पत्ते
अचानक से गिरे.. और
तोड़ दे मेरे मौन को..
मौन......
स्याह रात के
अँधेरे सा मौन..
रुको नहीं ..
कुछ कहते-कहते..
थकूं नहीं मैं सुनते-सुनते..
हलचल हो बस इतनी..
पानी में कंकर जितनी..
ले चलो वहां..
जहाँ... ज़िन्दगी बिता
सके संग संग⁠⁠⁠⁠

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !