Monday, 24 July 2017

पहली मुलाकात 

सुनो
क्या याद है तुम्हे
पहली मुलाकात 
पलकें झुकाए 
दबी दबी हँसी 
छलकने को बेताब 
वो अल्हड़ लम्हे 
भीगा एहसास 
हाथों में हाथ लिए 
घंटों ठहरा वक़्त 
उनिंदी रातें 
कहने को 
अनगिनत बातें 
दिल की बंज़र 
ज़मीन पर 
नाख़ून से बने 
कुछ निशान 
कोरे केनवस 
पर खिंची 
आडी तिरछी 
रेखाओं के ज़ख़्म 
आज भी ताज़ा है नमी

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !