किसे ढूंढ रहे हो
तुम आस-पास...
मैं बन के हमराह..
हर पल तुम्हारे
संग चलूंगी..
क्यूं बुझा-बुझा सा
मन तुम्हारा...
नहीं जगता इसमें
अब कोई अरमान....
मैं तुम्हारे सूखे होठों पर...
बन के मुस्कान खिलूंगी...
तुम मेरा नाम 'खुशी' रख देना...
बस तुम्हारे लिये तो हूं मैं ...
तुम्हारे लिये ही रहूंगी.... सदा
जाने कबसे हो निःशब्द....
हर पल बोझल कटता ही नहीं...
तुम्हारे इस रूके जीवन में...
मैं दिल बन कर धड़कूंगी...
तुम मेरा नाम 'जिंदगी' रख देना...
बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं..
तुम्हारे लिये ही रहूंगी....
No comments:
Post a Comment