Thursday 13 July 2017

मेरी सुबह कैसी होगी  ... 


आज बताता हु तुम्हे 
जब मेरी रात को
मिलेगा तेरा साथ
तो सुबह कैसी होगी  ...
स्याह, तन्हा..रात ने
जो पाया संग तेरा..
वो सुबह होगी मेरी
बड़ी खिली-खिली सी...
रात भर पगली हवायें
तुझसे लिपटी रहेगी ..
तेरे जिस्म का
संदल छूती रहेंगी ..
सर्द हवाओं को जो
तुम सहला दोगी...
तभी ये पुरवा भी होगी
महकी-महकी सी...
आसमां पे छिटकी
धवल,चंचल चांदनी...
तुम्हें अपने आगोश में
भरना चाहेंगी हर पल .
.


No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !