आज बताता हु तुम्हे
जब मेरी रात को
मिलेगा तेरा साथ
तो सुबह कैसी होगी ...
तब मेरी सुबह लेगी
अलसाई, अंगड़ाई सी...
ये फ़िज़ायें तुमसे
अठखेलियां करती रहेंगी ..
कभी बिखरती,
कभी तुममें सिमटती रहेंगी...
शोख कलियों को जो
चूम लूंगा मैं ...
तब फूलों पे शबनम
भी शर्माएंगी और ...
झील की लहरें
करवटें बदलती रहेंगी ..
ठंडी रेत तेरे पैरों तले
पिघलती रहेंगी ..
तुमने जो वादियों
का दामन ओढोगी ..
सुबह आसमां बदलेगा
करवट भी अनमनी सी...
रात जो पायेगी संग तेरा...
तो मेरी सुबह होगी
खिली-खिली सी...
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