Thursday, 20 July 2017

मेरे ख्वाब पुरे होते

देखना चाहता हु   
मैंने तुम्हे  
अपनी छत पर 
खुले आसमान के 
नीचे अपनी 
हथेली में 
सजाते बारिश की 
रिमझिम बूँदें....... 
तेरे ख़्वाबों से 
झिलमिलाती और 
तेरे एहसास से 
भीगी वो बूँदें 
पलकों पर सजाकर 
मैं भी देखता हु 
धीरे धीरे ........ 
पुरे होते  
मेरे ख्वाब........ को                      

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !