Saturday 1 July 2017

मै लौट आता हु

मै अक्सर तेरे दरवाजे तक जाकर 
लौट आता हु ,
अन्दर जाने को जी चाहता है 
पर लौट आता हु ,,
मन ही मन तेरा दर खटखटाता हु 
और लौट आता हु ,,
जैसे ही लगता है मुझे कि
तुम देख लोगी अब मुझे  
ठीक उस वक़्त लौट आता हु ,
कुछ तो हर बार ही रह रह जाता
है मेरा वहां पर,
उसे वहीँ छोड़ कर 
लौट आता हु ,
मै लौट आता हु 
ये मेरी मजबूरी नहीं होती ,
तुझको मजबूर समझ 
मै लौट आता हु ,...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !