Thursday, 20 July 2017

तुझे हंसा दूं....... 


थम गयी है हवा, 
ठिठक गयी कायनात, 
क्यूँ न नीले आसमान की 
चादर पर सजे, 
बादल के सफ़ेद फूल, 
फूंक मार कर उड़ा दूं........ 
या हलके से गुदगुदी कर, 
तुझे हंसा दूं....... 
बादलों के बदलते रूप में, 
तेरा उदास चेहरा, 
अच्छा नहीं लगता........ 
जब तू खिलखिला 
कर हंस पड़ेगी, 
ये हवा चल पड़ेगी,
बादल भी बदलने 
लगेंगे अपना रूप, 
अटकी हुई कायनात, 
खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.                      

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !