थम गयी है हवा,
ठिठक गयी कायनात,
क्यूँ न नीले आसमान की
चादर पर सजे,
बादल के सफ़ेद फूल,
फूंक मार कर उड़ा दूं........
या हलके से गुदगुदी कर,
तुझे हंसा दूं.......
बादलों के बदलते रूप में,
तेरा उदास चेहरा,
अच्छा नहीं लगता........
जब तू खिलखिला
कर हंस पड़ेगी,
ये हवा चल पड़ेगी,
बादल भी बदलने
लगेंगे अपना रूप,
अटकी हुई कायनात,
खुद-बा-खुद चल पड़ेगी.
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