मैंने,
जीवन के करधे में,
रंगीन रेशमी
सपनों की बाती,
कात कात सपने बुने ,
ताकि तुम्हें दिखा
सकूँ सभी पुरे कर ,
फिर सहेज कर रख
दिए तुम्हारी आँखों में
सभी कहा कुछ भी नहीं...
तुम उन्हें जानकार भी
अनसुना कर दो शायद,
जैसे शब्द सब
अनाथ हों मेरे,
कोई सुने न उन्हें तो बेचारे,
अक्षर अक्षर हो
हवाओं में गुम न जायें,
अब गाहे गाहे आंखों
में देख तुम्हारी
सपनो को संभाल लेता हु
चुपचाप मैं … अकेला
जीवन के करधे में,
रंगीन रेशमी
सपनों की बाती,
कात कात सपने बुने ,
ताकि तुम्हें दिखा
सकूँ सभी पुरे कर ,
फिर सहेज कर रख
दिए तुम्हारी आँखों में
सभी कहा कुछ भी नहीं...
तुम उन्हें जानकार भी
अनसुना कर दो शायद,
जैसे शब्द सब
अनाथ हों मेरे,
कोई सुने न उन्हें तो बेचारे,
अक्षर अक्षर हो
हवाओं में गुम न जायें,
अब गाहे गाहे आंखों
में देख तुम्हारी
सपनो को संभाल लेता हु
चुपचाप मैं … अकेला
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