Tuesday 25 July 2017

ख्वाब सजाना..

"कुछ अनकही सुनूँ 
या फिर सब 
कह डालूं  
बिखेर दूं 
लम्हा-लम्हा"
पर 
कितना मुश्किल है 
फिर से ख्वाब सजाना..
भीतर उठा गुबार
थम चुका अब
जीत चुकी तुम  
पर 
कितना मुश्किल है 
अपने अंतर्द्वंद से लड़ना ..!
जब सपने टूटते है 
तो दर्द सपने देखने 
वाले को होता है 
किसी और को नहीं  

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !