Tuesday, 4 July 2017

जो देखता हूँ सोते हुए

वो ठीक मेरे
एहसास से लग कर
सोती है आजकल
और मैं अपनी नींद में 
उसे देखते हुए
कभी-कभी जब 
जाग जाते हैं मेरे 
एहसास उससे पहले
तो रोकता हूँ 
उनका उठना
ताकि नाजुक नींद 
टिकी रहे उसकी 
और मैं देख सकूँ 
वही सब जाग कर
जो देखता हूँ सोते हुए

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !