Monday, 31 July 2017

मेरी कवितायेँ स्तुतियाँ है


मेरी कवितायेँ 
वो स्तुतियाँ है 
जो मैंने की तो 
है ईश्वर के लिए 
पर उनपर नाम 
मैंने किसी एक
इंसान का लिख रखा है 
किन्यु की मेरा मानना है 
की इस कलयुग में वो तो 
आएंगे नहीं मेरे घर है 
उनके रूप में जरूर पा सकता हु 
मैं मेरी प्रेमिका और संतान 
इसलिए सारी स्तुतियाँ उसी के 
नाम लिख रहा हु मैं 

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !