Friday, 7 July 2017

रात क्या रखती है


इस पहर में 
तुम्हारे बारे में कुछ 
कहने के लिए
बहुत सोंचना पड़ रहा है 
क्यूंकि तुमसे दूर रहते हुए 
इतने लम्बे समय से  
मुझे जरा भी भान नहीं कि 
रात क्या रखती है 
तुम्हारे बिस्तर पे 
जिसपे तुम सोती हो 
और इस वक्त तुम 
नींद में होती हो 
या ख्वाब में 
या अब भी अपनी 
जिम्मेदारियों में
उलझी हो 
जंहा मैं तो हो ही 
नहीं सकता कभी  
या फिर मुझे 
याद करती हुई 
जगी होती हो⁠⁠⁠⁠

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !