Monday 10 July 2017

सावन में सावन सा मन


सावन के महीने में 
सावन सा मन 
जी करता है, 
तुम्हारी बाँहों में 
बूँद बूँद बिखर जाऊं 
बरसों  की जमी बर्फ 
कतरा कतरा पिघले 
और मैं डूब जाऊं 
घुटनो घुटनो ,
सावन में मन 
हरा हरा पिछले  
मौसम बोये खुश्क बीज 
नरम बौछारों में 
खिल खिल  जाएँ जैसे , 
सुर्ख आँख आँख 
अबकी जब बादलों से 
नयी कहानियां रिसे  
तो सैलाब आये 
और  मैं बह जाऊं   

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !