सावन के महीने में
सावन सा मन
जी करता है,
तुम्हारी बाँहों में
बूँद बूँद बिखर जाऊं
बरसों की जमी बर्फ
कतरा कतरा पिघले
और मैं डूब जाऊं
घुटनो घुटनो ,
सावन में मन
हरा हरा पिछले
मौसम बोये खुश्क बीज
नरम बौछारों में
खिल खिल जाएँ जैसे ,
सुर्ख आँख आँख
अबकी जब बादलों से
नयी कहानियां रिसे
तो सैलाब आये
और मैं बह जाऊं
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