तुममें जबसे खोया
तुझमे मेरे बीजों
को बोया अब
जब फूल खिलें हैं
काँटों में भी उलझे हैं....
तब तुम बाँहों
में आकर मेरी
यूँ घेर लेती हो
उन्हीं फूलों को
बिखेर देती हो
और कहती हो -
भूल जाओ दर्द को....
ये जिद ही है मेरी
कि मैं तुममें यूँ ही
खोया रहूँगा
और काँटे खुद को
चुभोता रहूँगा
बस तुम्हें फूल देता रहूँगा
पर क्या तुम
कभी उन फूलो को
मेरी बांहो में खेलने दोगी?
तुझमे मेरे बीजों
को बोया अब
जब फूल खिलें हैं
काँटों में भी उलझे हैं....
तब तुम बाँहों
में आकर मेरी
यूँ घेर लेती हो
उन्हीं फूलों को
बिखेर देती हो
और कहती हो -
भूल जाओ दर्द को....
ये जिद ही है मेरी
कि मैं तुममें यूँ ही
खोया रहूँगा
और काँटे खुद को
चुभोता रहूँगा
बस तुम्हें फूल देता रहूँगा
पर क्या तुम
कभी उन फूलो को
मेरी बांहो में खेलने दोगी?
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