लब्ज सुन लिए गए थे
कायनात की सारी
आवाजों द्वारा .......
उन तीन
लब्जों के लिए
सारी जगहें
खाली कर दी थीं
होंठों पे
सदियों से जमा वजन
उतर गया था
उसके भीतर
कोई नाच उठा था
जो नाचता हीं जा रहा था
लगातार...लगातार....
आज तक वो यु ही
नाच रहा है
बिना जाने की
जिसे बोले गए है
उसके लिए क्या
मायने रखते है वो
लब्ज ...
No comments:
Post a Comment