Thursday, 27 July 2017

ऐसी कोई व्याख्या 

मैंने तो प्रेम किया 
सिर्फ तुम्हारा साथ 
पाने के लिए जो 
तुम ना दे पायी मुझे 
अब तक सिर्फ 
और सिर्फ दुसरो की 
फिक्र के कारन
क्या प्रेम में इंसान 
दुसरो की फिक्र 
इस कदर करता है की 
उसका खुद का प्रेम ही
दोराहे पे खड़ा हो जाए
मैंने अब तक प्रेम 
के बारे जितना कुछ 
लिखा उसमें नहीं 
है ऐसी कोई व्याख्या 
इसलिए पूछता हु तुमसे                        

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !