Friday 21 July 2017

मेरे ख्वाब


रात भर 
उनिंदी सी रात ओढ़े 
जागती आँखों ने 
हसीन ख्वाब जोड़े 
सुबह की आहट से पहले 
छोड़ आया हूँ वो ख्वाब 
तुम्हारे तकिये तले 
अब जब कभी 
कच्ची धूप की पहली किरण 
तुम्हारी पलकों पे
दस्तक देगी 
तकिये के नीचे से
सरक आये मेरे ख्वाब 
तुम्हारी आँखों में
उतर जाएँगे
तुम हौले से अपनी   
आँखें खोलना कंही 
टपक ना पड़े वो 
तुम्हारी आँखों से 
जमीन पर 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !