रात भर
उनिंदी सी रात ओढ़े
जागती आँखों ने
हसीन ख्वाब जोड़े
सुबह की आहट से पहले
छोड़ आया हूँ वो ख्वाब
तुम्हारे तकिये तले
अब जब कभी
कच्ची धूप की पहली किरण
तुम्हारी पलकों पे
दस्तक देगी
तकिये के नीचे से
सरक आये मेरे ख्वाब
तुम्हारी आँखों में
उतर जाएँगे
तुम हौले से अपनी
आँखें खोलना कंही
टपक ना पड़े वो
तुम्हारी आँखों से
जमीन पर
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