Tuesday 11 July 2017

तेरे होने का एहसास

सुनो मेरा 
ख्वाब सा झीना 
आस का लिबास 
जिसे मैंने कभी  
ओढ़ लिया कभी 
मैंने उसे बिछा लिया 
धड़कनों में बसा 
तेरे होने का एहसास
वो भी सिर्फ मेरी 
होने का ख्याल  
कभी ज़ाहिर किया 
कभी दिल में ही 
मैंने अपने छिपा लिया 
गुज़र गए है 
बहुत बरस बस इसी तरह...
अब और ऐसे 
जिया नहीं जा रहा                        
आकर पास मेरे
तुम मेरे इन एहसासो को 
सच कर दो अब 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !