Saturday, 8 July 2017

बेमौसम सा  तेरा प्यार  !!

बेमौसम 
बरसात सा प्यार 
तुम्हारा ,
मेरे मन को 
हरदम  कर जाता है
हरा हरा  ... 
जेठ में ये दिखाता है नखरे ,
और बेवक़्त बरस जाता है 
कि जब जरुरत पडी
नहीं मिला साया ,
धूप ही धूप 
रास्ते मेँ मिला 
एक दरख़्त 
ढूंढता मै रहा  
दूर तलक ना 
कहीं छाँव मिली 
बेमौसम सा 
तेरा प्यार  !!

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !