Monday 3 July 2017

तुम्हारी अनुपस्थिति में

मेरे  .....
जागने और 
सोने के लिए
सुबह और रात है  ...
पर तुम्हारी 
अनुपस्थिति में
वक़्त का कोई न 
कोई कोना
नींद की पकड़ से
बाहर छूट जाता है
और मैं जगता रहता हु 
तुम्हे याद करते करते
और कब सुबह  हो जाती है 
पता ही नहीं चलता 

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !