तुम वो सपनीली धुप
तेरे बिन मेरा हाल
ऐसा जैसे-मेरा मन...
एक सीला.. अंधेरा कमरा...
जिसमें सन्नाटा..
पसरा हो..मेरे सपने...
उस अंधेरे में..एक उदास..
रोशनी की लकीर से...
मेरी धड़कन...कमरे
में गुजरती... हवा की..
सरसराहट सी... सहमी हुई..
मेरे अह्सास..उस अंधियारे में..
खो चुके उजालों से...और तुम...
अचानक उतर आई.. सपनीले..
रंगों की धूप सरीखी ...
और मैं....उस धूप को... मुठी में..
बंद करने की.. कोसिस में
तेरे बिन मेरा हाल
ऐसा जैसे-मेरा मन...
एक सीला.. अंधेरा कमरा...
जिसमें सन्नाटा..
पसरा हो..मेरे सपने...
उस अंधेरे में..एक उदास..
रोशनी की लकीर से...
मेरी धड़कन...कमरे
में गुजरती... हवा की..
सरसराहट सी... सहमी हुई..
मेरे अह्सास..उस अंधियारे में..
खो चुके उजालों से...और तुम...
अचानक उतर आई.. सपनीले..
रंगों की धूप सरीखी ...
और मैं....उस धूप को... मुठी में..
बंद करने की.. कोसिस में
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