Monday, 10 July 2017

पिघल रहा है मेरा ख्वाब 


सोने चांदी की 
किरणों से ख्वाब बुने
चार साल और पांच महीने 
चाँद घटने लगा है अब 
थोड़ा कम पड रहा है 
वो चांदी का तार 
उजली उजली सी 
तेज़ धुप में पीला पड़ ,
पिघल रहा है मेरा ख्वाब 
सुनो वो जो टूटा तारा 
तुम्हारी आलमीरा में 
पड़ा है बेवजह 
उधार दे दो  
चार साल और पांच महीने 
के लिए 
मेरे ख्वाब में पैबंद लगाना है 
चाँद फिर बढ़ने लगेगा...                        
बोलो दोगी ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !