Saturday 1 July 2017

ज़िन्दगी एक दलदल है 


जितना सुलझाना चाहता हूँ
ज़िन्दगी को 
उतना ही उलझता जाता हु 
ज़िन्दगी में 
जितना उलझता जाता हु 
ज़िन्दगी में
उतना ही छटपटाता हूँ,
ज़िन्दगी में 
जितना छटपटाता हूँ
ज़िन्दगी में 
उतना ही गहरा धंसता जाता हूँ,
ज़िन्दगी में 
ज़िन्दगी एक दलदल ही है 
जिसने भी इसे चाहा वो 
इसमें धंसता ही जाता है 
चाहे कितनी ही कोशिश कर ले 
इस से निकल पाना बस नामुमकिन 
ही लगता है 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !