जितना सुलझाना चाहता हूँ
ज़िन्दगी को
उतना ही उलझता जाता हु
ज़िन्दगी में
जितना उलझता जाता हु
ज़िन्दगी में
उतना ही छटपटाता हूँ,
ज़िन्दगी में
जितना छटपटाता हूँ
ज़िन्दगी में
उतना ही गहरा धंसता जाता हूँ,
ज़िन्दगी में
ज़िन्दगी एक दलदल ही है
जिसने भी इसे चाहा वो
इसमें धंसता ही जाता है
चाहे कितनी ही कोशिश कर ले
इस से निकल पाना बस नामुमकिन
ही लगता है
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