Tuesday, 25 July 2017

क्यों डरती हो आखिर

क्यों डरती हो 
तुम प्यार से
ये भी भला कोई 
डरने की चीज़ है
फिर किन्यु नहीं 
कह देती सबको  
तो खोलने दो ना, 
क्यों डरती हो आखिर
क्या होगा ? 
बिखर ही जाओगी ना
तो बिखर जाने दो 
अपने आप को
प्यार से संवार 
लेगा तुम्हे कोई
फिर किन्यु नहीं सब छोड़ कर 
जाती उसके पास 
और प्यार में 
सज-संवर कर
खुशबू सी महकेगी 
तुम्हारी जिन्दगी.....!!
फिर किन्यु नहीं चाहती तुम 
उसकी ज़िन्दगी संवारना 
बोलो ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !