Friday, 14 July 2017

मेरा नाम  'सखी' रख देना..

किसे ढूंढ रहे हो 
तुम आस-पास...
मैं बन के हमराह..
हर पल तुम्हारे 
संग चलूंगी..
तुम मेरा नाम 
'सखी' रख देना..
बस तुम्हारे लिये 
ही तो मैं आयी हु यंहा ...
तुम्हारे लिये ही रहूंगी... सदा  
तुम्हारा उलझा-उलझा सा दिल...
रोज़ करता है कितने सवाल...
आज मैं दूंगी साथ...
तुम्हारे हर सवाल का 
आज जवाब बनूंगी मैं ..
तुम मेरा नाम 'ज़िन्दगी' रख देना..
बस तुम्हारे लिये तो हूं मैं..
तुम्हारे लिये ही रहूंगी...

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !