हा अक्सर ही
तुम तक पहुँचने
से पहले ही कुछ
अन्जाने शब्द
बिखर जाते है
तुम्हारे रास्ते पर
अनदेखा कर
शब्दों की चाहत
कुचल देती हो तुम
उन सब्दो के अर्थ ,
उनकी अभिव्यक्ति
उनकी चाहत,
मौन अनुरक्ति
शब्दों का उमड़ता सैलाब
अब समुन्दर हो गया है
बिखरने को बेताब शब्द
अश्वथामा हो गए हैं
भटक रहे हैं
तुम्हारी तलाश में
दर बदर सुना होगा तुमने
द्धापर युग चला गया
अब कंही कलयुग भी न
गुजर जाए
No comments:
Post a Comment