Monday, 24 July 2017

आँखों की भी ज़ुबान होती है

एक मुद्दत से
होठों के मुहाने 
पलते शब्द 
तेरे आने का लंबा इंतज़ार 
फिर अचानक
तू आ गयी इतने करीब
मुद्दत से होठों के मुहाने 
पलते शब्द 
फँस कर रह गये 
होठों के बीच
वो मायने 
जिन्हे शब्दों ने 
नये अर्थ में ढाला
आँखों की उदासी ने 
चुपचाप कह डाला 
सुना है
आँखों की भी ज़ुबान होती है
सही कहा ना मैंने ?                      

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !