Tuesday, 18 July 2017

तुम चुपके से आना

सुनो 
जब मेरे 
शब्द गूंगे हो जाएँ 
मेरी नज़र कुछ 
बोल न सके 
मेरी यादों के 
दरख्त से टूटे लम्हे 
बीते वक़्त के 
साथ ठहर जाएँ
तब तुम चुपके 
से आकर मेरी 
आँखों के सामने  
मुस्कुरा देना 
हवा चल पड़ेगी
और मैं फिर से 
वर्तमान में लौट 
आऊंगा .....

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !