Tuesday 1 August 2017

ज़िन्दगी को आत्मसात करता हु मैं  ..

तुम्हारे साथ ज़िन्दगी
को इस तरह आत्मसात 
करता हु मैं  ..
मुझे लगता है 
चहकती हो तुम 
चिड़ियों की तरह
नाच उठता है
मेरा मन-मयूर........
मुझे लगता है
चमकती हो तुम 
किरण की तरह
रोशनी से 
भरता रहता हु मैं .......
मुझे लगता है
छिटकती हो तुम 
चाँदनी की तरह
शीतलित होता है
मेरा  रोम-रोम.......

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !