पहले पहले किसी
को नहीं पता होता
की हम किसी को किन्यु
बार बार देखना चाहते है
और किन्यु किसी को नहीं
जाने देना चाहते खुद से दूर
पर वो चाहत कब दिल में
सेंध लगाकर घर बना लेती है
पता ही नहीं चलता हमे
तब लोग बताते है हमे
लगता है तुम "प्रेम" में हो
और तब तक हमारा वश ख़त्म
हो चूका होता है खुद के दिल पर से
शायद इसी लिए कहते है
प्रेम कभी बतलाकर नहीं होता
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