Tuesday, 1 August 2017

प्रेम कभी बतलाकर नहीं होता 


पहले पहले किसी 
को नहीं पता होता 
की हम किसी को किन्यु 
बार बार देखना चाहते है  
और किन्यु किसी को नहीं 
जाने देना चाहते खुद से दूर 
पर वो चाहत कब दिल में 
सेंध लगाकर घर बना लेती है
पता ही नहीं चलता हमे 
तब लोग बताते है हमे 
लगता है तुम "प्रेम" में हो 
और तब तक हमारा वश ख़त्म 
हो चूका होता है खुद के दिल पर से 
शायद इसी लिए कहते है 
प्रेम कभी बतलाकर नहीं होता 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !