क्या मिला सभ्य होकर
प्रेमियों को
कई बार ये सोचता हु
फिर से जंगली हो जांऊ
और महसूस करू एक बार
फिर से पीपल की छांव
ये सभ्यता का चोला उतारकर
बरगद सी लम्बी जड़ फ़ैलाऊ
और लपेट लाऊ उसमे तुम्हे
और फुस की एक झोपडी
बना उसके एक कोने में
उगाऊं तुलसी का पौधा
और रखु उसके किनारो पर
एक दीपक जिसको आकर
तुम जलाओ सुबह शाम
और तुम्हे साथ लेकर
लौटू इन हरी हरी घांसो पर
और एक बार फिर से
असभ्य हो जाऊ
प्रेमियों को
कई बार ये सोचता हु
फिर से जंगली हो जांऊ
और महसूस करू एक बार
फिर से पीपल की छांव
ये सभ्यता का चोला उतारकर
बरगद सी लम्बी जड़ फ़ैलाऊ
और लपेट लाऊ उसमे तुम्हे
और फुस की एक झोपडी
बना उसके एक कोने में
उगाऊं तुलसी का पौधा
और रखु उसके किनारो पर
एक दीपक जिसको आकर
तुम जलाओ सुबह शाम
और तुम्हे साथ लेकर
लौटू इन हरी हरी घांसो पर
और एक बार फिर से
असभ्य हो जाऊ
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