Monday, 28 August 2017

तुम्हारा हाँथ थामूंगा

सोचा था मैंने
तुम जो हमेशा
आगे-आगे चलती
हो हमेशा ही मेरे 
एक दिन अचानक 
तुम्हारा हाँथ थामूंगा 
और कितना सहज हो 
जायेगा सब कुछ
चीज़ें लोग और मेरे
शब्द भी जो कठोर 
लगते है तुम्हे मेरी    
जिह्वा पर, लेकिन 
मुझे क्या पता था 
तुम्हे मेरा हाथ 
पकड़ कर चलना 
इतना अखरेगा की
तुम हाथ छुड़ा 
दूर चली जाओगी 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !