Friday, 25 August 2017

तुम हो मेरी सखी ?

सच में अगर 
तुम हो मेरी सखी  ?
तो मेरी मदद करो 
ताकि मैं रह सकू 
तुम्हारे बगैर अब 
और अगर हो मेरी प्रेमिका ?
तो भी करो मदद तुम मेरी
ताकि जो तुम्हारी लत 
लगी है मुझे उससे निज़ाद मिले 
अगर मैं जानता की प्रेम का 
समुद्र इतना गहरा और खारा
ही होगा तो इसमें कूदने की
नहीं सोचता मैं और अगर मैं जानता 
की   इतना प्रेम करने के बाद भी 
अंजाम यही होगा तो सोचता मैं
हज़ार बार इसे आरम्भ करने से पहले   
सच में अगर 
तुम हो मेरी सखी  ?
तो मेरी मदद करो 
ताकि मैं रह सकू 
तुम्हारे बगैर अब 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !