Friday, 4 August 2017

तुमने वो  दहलीज़ लाँघ दी 

ऐसे तो ना कहूंगा
की किसी ने ना 
चाहा है मुझे 
है इतना कह सकता हु 
पुरे यकीं से मैं 
की किसी को 
दहलीज़ नहीं लगने दी
दी है तब तक मैंने
जब तक देखा नहीं था
तुम्हे पहली बार 
और जब तुम मिली 
मैं तो रोक ही नहीं 
पाया खुद-से-खुद को 
और तुमने वो 
दहलीज़ लाँघ दी 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !