Tuesday 8 August 2017

वो आवाज़ देता रहा

वो तो तुम्हे 
हर कदम पर 
आवाज़ देता रहा 
तुमने सदा अनसुना 
किया उसे और चलती
रही नज़रें नीची किये 
वो तो तुम्हारे चारो
ओर बिखरा था 
खुसबू की तरह
तुम्हारी जिम्मेदारिओं 
ने तुम्हे कुछ महसूस 
ही नहीं होने दिया 
वो तो हर पल आस लगाए 
ताकता रहा तुम्हे 
और तुम जाने किन्यु 
दर दर भटकती रही 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !