अक्सर ही मैं
तुम्हारी कल्पना
करता हु चाहे रहु
अकेला या फिर लोगो
के बीच पर मेरी
कल्पनाओं में सिर्फ
तुम ही होती हो ;
तुम्हारी छवि बारिश
की बूंदो की तरह
मेरी आँखों के सामने
बरसती रहती है ;
और तुम उस हिरन
की तरह कुलांचें भर
भागती रहती हो और
तुम्हारी नाभि में जो
केशर है उसकी खुसबू
मुझे तुम्हारी तरफ खींचती
रहती है पल-पल
तुम्हारी कल्पना
करता हु चाहे रहु
अकेला या फिर लोगो
के बीच पर मेरी
कल्पनाओं में सिर्फ
तुम ही होती हो ;
तुम्हारी छवि बारिश
की बूंदो की तरह
मेरी आँखों के सामने
बरसती रहती है ;
और तुम उस हिरन
की तरह कुलांचें भर
भागती रहती हो और
तुम्हारी नाभि में जो
केशर है उसकी खुसबू
मुझे तुम्हारी तरफ खींचती
रहती है पल-पल
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