Wednesday 9 August 2017

वो रहती है व्यस्त 

वो अब भी 
रहती है व्यस्त 
मेरे तमाम दर्द 
को महसूसते हुए भी 
शायद उसको लगता है 
मैं बना ही हु 
दर्द को सहने के लिए 
और चाहती है मैं 
रहु उसके साथ सदा 
सहता हु दर्द  
बस शर्त इतनी है 
की उसे ना हो कोई डर
और ना हो कोई दर्द 
क्या सच में वो मुझसे 
करती है प्रेम या ये भी 
है सिर्फ एक तरफ़ा प्रेम 
सोच में हु मैं ?

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !