Tuesday 15 August 2017

मेरे हिस्से का प्रेम


प्रेम तो किया 
मैंने तुमसे 
आँख और दिमाग 
दोनों बंद कर 
कई बार इन्द्रियां 
सक्रिय होकर 
जताती रही विरोध
परन्तु मैंने पढ़ा था
प्रेम में कभी तार्किक 
नहीं हुआ जाता और
मैं कभी हुआ भी नहीं 
परन्तु उसने कभी 
कोई बात मानी ही नहीं 
जब तक की उसे 
आज़माया नहीं उसने 
शायद तार्किक है वो
और प्रेम में तर्क की 
कोई जगह नहीं 
इसलिए मैंने मेरे 
हिस्से का प्रेम किया 
उसने बस तर्क किया 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !