प्रेम तो किया
मैंने तुमसे
आँख और दिमाग
दोनों बंद कर
कई बार इन्द्रियां
सक्रिय होकर
जताती रही विरोध
परन्तु मैंने पढ़ा था
प्रेम में कभी तार्किक
नहीं हुआ जाता और
मैं कभी हुआ भी नहीं
परन्तु उसने कभी
कोई बात मानी ही नहीं
जब तक की उसे
आज़माया नहीं उसने
शायद तार्किक है वो
और प्रेम में तर्क की
कोई जगह नहीं
इसलिए मैंने मेरे
हिस्से का प्रेम किया
उसने बस तर्क किया
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