Tuesday, 8 August 2017

कररर कररर की आवाज़ें



बरसात में 
और तेज़ गर्मियों में 
अक्सर दरवाज़े और
खिड़कियां स्वतः ही 
छोटे और बड़े हो जाते है 
देखा भी होगा और 
सुना भी होगा सबने 
मौसमो की मार सिर्फ
लकड़ी के इन दरवाज़ों 
पर ही नहीं होती कई 
बार रिस्तो में भी ऐसा 
होता है और कान लगाकर
सुनो तो आवाज़ें उनमे से 
भी आती है कररर  कररर की 
बस जरुरत होती है दरवाज़ों 
और खिड़कियों की तरह 
उनमे भी समय समय पर
तेल डालने की 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !