बरसात में
और तेज़ गर्मियों में
अक्सर दरवाज़े और
खिड़कियां स्वतः ही
छोटे और बड़े हो जाते है
देखा भी होगा और
सुना भी होगा सबने
मौसमो की मार सिर्फ
लकड़ी के इन दरवाज़ों
पर ही नहीं होती कई
बार रिस्तो में भी ऐसा
होता है और कान लगाकर
सुनो तो आवाज़ें उनमे से
भी आती है कररर कररर की
बस जरुरत होती है दरवाज़ों
और खिड़कियों की तरह
उनमे भी समय समय पर
तेल डालने की
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