Wednesday 23 August 2017

तुम्हारी आँखें

वो सिर्फ 
तुम्हारी आँखें 
ही थी जिसने भेद
दिया था मेरी आत्मा
पर लगे उस बड़े से 
दरवाज़े को जिस पर 
लिखा था अंदर आना 
सख्त मना है और 
जब भेद ही दिया था तो
ये तुम्हारी जिम्मेदारी
बनती थी की मैं फिर
ना रहु अकेला तुम्हारे
अंदर आने के बाद 
पर ऐसा किन्यु किया 
तुमने की दरवाज़ा 
खोला भी और अंदर भी आयी 
पर मेरा अकेलापन दूर
ना कर पायी तुम ?

No comments:

प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !