Thursday 3 August 2017

देह सदैव याद रखती है

प्रेम की याददास्त 
कमजोर होती है ;
और तन की याददास्त
तीक्ष्ण होती है और
सदैव तीक्ष्ण ही रहती है;
प्रेम का स्वाभाव चंचल है 
वो भागता फिरता है ;
और देह का स्वाभाव है 
स्थिर रहना वो कंही जाता नहीं ;
इसलिए प्रेम भूल जाता है और
देह याद रखती है सदैव;
प्रेम करता है कल्पनाएं और 
देह पागलपन की हद्द पार करता है 
इसलिए प्रेम में देह की महत्ता 
कभी कम नहीं आंकी जा सकती

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !