Tuesday, 15 August 2017

जीवन की रेखा


तुम्हारे लिए जो 
लिख रहा था मैं 
अब तक प्रेम कवितायेँ 
लिखते लिखते उन्ही 
कागजो की किनारी से 
कट गयी वो  
लकीर जो हथेली के 
बीचों बीच थी मेरे 
जीवन की रेखा
अब शायद मैं 
वो उम्र ना जी सकू 
जो लिखा कर लाया था 
ऊपर से अपने 
भाग्य में 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !