इस मतलबी दुनिया
में तुम एकमात्र
आसक्ति हो मेरी
मुझे तो सांस लेने की भी
फुर्सत नहीं थी पहले
जबसे तुम मिली हो
खुशियां जंहा भी दिखती है
समेट लेता हूँ और चाहता हु
उन सबको तुम्हे सौंप देना
पर मेरे आने के बाद भी
फुर्सत तो तुम्हे भी नहीं मिली
अब तक ठीक से मुझे देखने की
फिर भी कनखियों से
देख कर मुझे प्राप्त
करना चाहती हो तुम
जाने कैसी तृप्ति...?
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