Saturday, 26 August 2017

जड़ों को काटना

गर हो मेरी प्रिय तो 
तो सिखाओ मुझे अब
ना चाहना भी 
इतना चाहा है मैंने तुम्हे
पर चाह मिली ही नहीं 
और सिखाओ मुझे 
गहरी फैली प्रेम की 
जड़ों को काटना अब 
ताकि मेरी बचे अश्रु 
मेरी आँखों में ही 
दम तोड़ सके 
भनक ना लगे तुम्हे उनकी 
और फिर मेरा प्रेम कर सके 
अपनी ही हत्या 

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !