Saturday 12 August 2017

प्रेम कविता

कुछ ही दिनों में फिर 
दिन छोटे और रातें 
लम्बी होने लगेंगी और 
फिर यादें तुम्हारी मुझे
इन लम्बी रातों में अकेले
जागने को मज़बूर करेंगी 
और फिर मैं गुनगुनाऊँगा 
तुम पर लिखी अपनी प्रेम कविता
और वो बनेंगे मेरे गीत 
जिन्हे मैं माचिश की तीली 
की तरह इस्तेमाल करूँगा 
अँधेरी रातों में जागने के लिए 
यु लम्बी रातें अकेले 
जागी नहीं जाती 
पता है ना तुम्हे

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प्रेम !!

  ये सच है  कि प्रेम पहले  ह्रदय को छूता है      मगर ये भी उतना  ही सच है कि प्रगाढ़   वो देह को पाकर होता है !